भगवान हैं’ यह सिर्फ मानना ही आस्तिक भावना नहीं है

मानव का आनंद यह सिर्फ घटना या क्रिया पर निर्भर नहीं होता है

हर किसी का अंतर्मन इतना विशाल होता है की विश्व की हर एक घटना इस अंतर्मन से संबंधित होती ही है

मानव जिन्हें मानवीय प्रयत्नों से नहीं टाल सकता, ऐसीं जो तीन-चार प्रकार की मृत्यु मनुष्य के जीवन में आ सकती हैं

मैं जिस प्रमाण में भक्ती एवं सेवा करता हूँ, जिस प्रमाण में अच्छा मनुष्य बनने का प्रयास करता हूँ

भक्ति की अगली अवस्था अर्थात अनुभूति

मेरे अच्छे आचरण से मेरी भक्ति निखरने लगती है

किसी भी संकट के आने पर बिलकुल भी मत घबराना

अच्छा या बुरा कार्य करने की शक्ति मेरी सावधानता पर निर्भर करती है

जब परमेश्वर के प्रति मेरे मन में होनेवाला भय दूर होगा, तब मैं परमेश्वर के साथ सही मायने में जुड जाऊँगा
