जिसमें देने की प्रवृत्ति होती है, उसे ही भगवान देते रहते हैं। जिसमें लोगों को लूटने की प्रवृत्ति होती है, सिर्फ लोगों से हथियाने की ही प्रवृत्ति होती है, उसे भगवान कुछ नहीं देते।
जीवन में परमेश्वर से यदि कुछ मांगना ही है तो वह अवश्य मांगिए, लेकिन यह मांगना मत भूलिए कि हे परमेश्वर, मैं तुम्हें चाहता हूं, बाकी का जो कुछ भी देना है वह अवश्य दो, लेकिन एक बात निश्चित रुप से मांग रहा हूं कि.... मैं तुम्हें ही चाहता हूं।