बौद्धिक परिश्रम और शारीरिक परिश्रम इन दोनों का भी हर एक के लिए समान प्रमाण में होना आवश्यक होता है

चाहे कितना भी क्यों न खुजलाओ, मगर फिर भी खुजली ठीक नहीं होती

उच्च ध्येय की प्राप्ति करने वाले हर एक को इन पाँच अवस्थाओं से गुजरना ही पड़ता है

सूर्य पर मिट्टी फेंकने वाले मानव का प्रतिशोध सूर्य नहीं लेता

‘101वें घाव से पत्थर टूट गया’ - नहीं, यह पहले के 100 घावों का परिणाम है

साक्षात् मृत्यु की अपेक्षा भी ‘शारीरिक एवं मानसिक क्लेश’ यही मानव पर सत्ता करने वाला वास्तविक तानाशाह है

कम समय में और कम परिश्रम में अधिक धन

प्रेम से एवं ध्यानपूर्वक किया गया कार्य

चिन्ता करने से क्या सहायता मिलनेवाली है?

किसी से कुछ भी मुफ्त में मत लो
