एड्स और कॅन्सर से भी भयानक रोग है, ‘मैं कुछ भी कर नहीं सकता, मैं कम हूँ’ यह भावना

जिन्हें सुलझाना आसान हो ऐसी समस्या पहले सुलझाकर

मानव जिन्हें मानवीय प्रयत्नों से नहीं टाल सकता, ऐसीं जो तीन-चार प्रकार की मृत्यु मनुष्य के जीवन में आ सकती हैं

मैं जिस प्रमाण में भक्ती एवं सेवा करता हूँ, जिस प्रमाण में अच्छा मनुष्य बनने का प्रयास करता हूँ

भक्ति की अगली अवस्था अर्थात अनुभूति

मेरे अच्छे आचरण से मेरी भक्ति निखरने लगती है

किसी भी संकट के आने पर बिलकुल भी मत घबराना

अच्छा या बुरा कार्य करने की शक्ति मेरी सावधानता पर निर्भर करती है

जितने प्रमाण में भक्ति, उतने ही प्रमाण में शांति, और जितने प्रमाण में शांतता

यदि मैं नामस्मरण के अर्थात भक्ति के और गरीब, अनाथ, जरूरतमंदों की सेवा
