अहंकार आपको यह सोचने पर मजबूर करता है कि आप भगवान से भी बढकर हैं।

अन्य कुछ भी वास्तविक दुखांतिका नहीं है, बल्कि व्यर्थ जाना ही वास्तविक दुखांतिका है।

समय इस दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु है। इसे बर्बाद मत करो।

एड्स और कॅन्सर से भी भयानक रोग है, ‘मैं कुछ भी कर नहीं सकता, मैं कम हूँ’ यह भावना

‘स्वतन्त्रता’ का अर्थ ‘मनमानी करना’ नहीं है

जिसका कोई उपयोग नहीं ऐसी चर्चा करना, प्रमाण के बाहर पढ़ना और व्यर्थ के विवाद करना यह क्षयकारिणी शक्ति है

जिन्हें सुलझाना आसान हो ऐसी समस्या पहले सुलझाकर

अपेक्षा रखनी ही हो तो वह केवल चण्डिकाकुल से और स्वयं से

सफलता और प्रसिद्धि के शिखर तक पहुँच जाने पर लोग आपकी खामियाँ ढू़ँढेंगे ही

अधिकार आ जाने के बाद सत्ता के मद में मनुष्य ‘साहब’ से ‘लाटसाहब’ बन ही जाता है
