परिपुर्णता एक भ्रम है। उसे भूल जाओ। केवल भगवान ही परिपुर्ण हैं

अहंकार आपको यह सोचने पर मजबूर करता है कि आप भगवान से भी बढकर हैं।

अन्य कुछ भी वास्तविक दुखांतिका नहीं है, बल्कि व्यर्थ जाना ही वास्तविक दुखांतिका है।

‘स्वतन्त्रता’ का अर्थ ‘मनमानी करना’ नहीं है

जिसका कोई उपयोग नहीं ऐसी चर्चा करना, प्रमाण के बाहर पढ़ना और व्यर्थ के विवाद करना यह क्षयकारिणी शक्ति है

सफलता और प्रसिद्धि के शिखर तक पहुँच जाने पर लोग आपकी खामियाँ ढू़ँढेंगे ही

व्यवहार को दृढ़ता के साथ सँभाला हो तो तुम्हारा अध्यात्म तुम्हारा उत्कर्ष करता है

मुफ्त में चीजें प्राप्त करने की मेरी इच्छा यह मेरी दुर्बुद्धी ही है।
