मैं जिस प्रमाण में भक्ती एवं सेवा करता हूँ, जिस प्रमाण में अच्छा मनुष्य बनने का प्रयास करता हूँ

मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है और देश की सेवा यह मोक्ष का ही मार्ग है।

यदि मैं नामस्मरण के अर्थात भक्ति के और गरीब, अनाथ, जरूरतमंदों की सेवा

मैं यदि मन:पूर्वक सेवा करने का प्रयास करता हूँ तो

यदि मैं सेवा अहंकारपूर्वक करता हूँ तो वह सेवा ही नहीं है
