मेरे बाह्य मन पर परमेश्वर का शासन जो ठीक से चलने देता है वह हिस्सा यानी परमेश्वरी मन।

मन एवं बुद्धि जहाँ पर एकत्रित कार्य करते हैं ऐसा स्थान अर्थात अंत:करण

यदि अन्याय का प्रतिकार करना हो तो, इसके लिए पहले मन, शरीर एवं बुद्धि से हमें समर्थ बनना चाहिए

अपने मन को शांत, एकचित्त करना और साथ ही जिस में से मांगल्य उत्पन्न होगा
