अधिकार आ जाने के बाद सत्ता के मद में मनुष्य ‘साहब’ से ‘लाटसाहब’ बन ही जाता है

चाहे कितना भी क्यों न खुजलाओ, मगर फिर भी खुजली ठीक नहीं होती

मैं जिस प्रमाण में भक्ती एवं सेवा करता हूँ, जिस प्रमाण में अच्छा मनुष्य बनने का प्रयास करता हूँ

हर एक मनुष्य स्वयं अपनी गति को उत्पन्न करता है
